होंठ (संज्ञा)
मुँह के बाहर ऊपर-नीचे उभरे हुए अंश जिनसे दाँत ढके रहते हैं।
समुद्र (संज्ञा)
खारे पानी की वह विशाल राशि जो चारों ओर से पृथ्वी के स्थल भाग से घिरी हुई हो।
वृक्ष (संज्ञा)
जड़, तने, शाखा तथा पत्तियों से युक्त बहुवर्षीय वनस्पति।
रत्नाकर (संज्ञा)
खारे पानी की वह विशाल राशि जो चारों ओर से पृथ्वी के स्थल भाग से घिरी हुई हो।
जलधर (संज्ञा)
पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है।
पीला चन्दन (संज्ञा)
पीले रंग का चंदन।
अपमान (संज्ञा)
वह बात या कार्य जिससे किसी का मान या प्रतिष्ठा कम हो।
मधुदूत (संज्ञा)
गर्म देशों में पाया जाने वाला एक बड़ा, सदाबहार पेड़ जिसके रसीले फल खाए या चूसे जाते हैं।
मेघ (संज्ञा)
पृथ्वी पर के जल से निकली हुई वह भाप जो घनी होकर आकाश में फैल जाती है और जिससे पानी बरसता है।
संयोग (संज्ञा)
दो या कई बातों के अचानक एक साथ होने की क्रिया।