अर्थ : किसी की कोई बात सुनकर उसके अनुसार काम करने की क्रिया।
उदाहरण :
हम बहुत सारे कार्य बड़ों के आश्रव के द्वारा करते हैं।
अर्थ : जैन और बौद्ध दर्शनों के अनुसार कोई ऐसी बात जो जीव के बंधन का कारण हो अथवा उसके मोक्ष में बाधक हो।
उदाहरण :
जैनों में पापाश्रव और पुण्याश्रव अथवा बौद्धों में अविद्याश्रव, कायाश्रव आदि मोक्ष में बाधक हैं।